CRPF HCM Recruitment 2023 : CRPF Head Constable Ministerial में भर्ती होने के बाद मेरी पहली पोस्टिंग श्रीनगर में की गयी जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि कैसे मैं लखनऊ से जम्मू पहुंचा फिर जम्मू से मैं श्रीनगर पहुंचा। दोस्तों अगर आपने मेरी पिछली कहानी नहीं पड़ी तो नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके उसे आप पढ़ सकते हैं-
CRPF HCM Recruitment 2023 – First Posting in Srinagar
दिनांक 14 जनवरी 2014 की रात को हमारी बस जब कानवाई स्टैंड श्रीनगर से हमारी बटालियन के लिये रवाना हुई थी तब मैं खिड़की से डल झील के नजारे को देख रहा था हालांकि रात काफी हो चुकी थी इसलिये मुझे बिल्कुल साफ साफ तो दिखायी नहीं दे रहा था लेकिन डल झील में लाइटें लगी हुई थीं तो रात का दृश्य बहुत ही लुभावना और मनमोहक लग रहा था । जनवरी का मौसम था भयंकर ठंड पड़ रही थी। झील में बहुत बड़ी बड़ी नाव खड़ी हुई थीं जो कि पूरे घर लग रहे थे उनमें वहां के कश्मीरी लोग रहते थे।
बाहर का नजारा देखते देखते कब मेरी बटालियन का मैन गेट आ गया पता ही नहीं चला। रात में मैन गेट पर एक जवान ड्यूटी कर रहा था उसने हमारी बस को रोका और ड्राइवर से कुछ पूंछताछ की फिर उसने रोड पर लगे बैरियर को हटाया और हमारी बस बटालियन के ग्राउण्ड में पहुंच गयी। जब मैं रात के 12ः30 बजे अपनी बटालियन में पहुंचा तो हमारी बस में करीब 15-20 जवान होंगे जो कि मेरी ही बटालियन के थे जिसमें से 2-3 जवान पास की ही बटालियन के थे जो कि रात हमारी बटालियन में ही गुजारने के लिये ठहरे हुए थे क्योंकि श्रीनगर बहुत ही सेंसिटिव एरिया है और वह बस आगे नहीं जाती थी इसलिये उन्होंने निर्णय लिया कि वे रात मेरी ही बटाालियन में गुजारेंगे सुबह जब थोड़ी चहल पहले होगी तब वे अपनी बटालियन में चले जायेंगे।
मैं भी थोड़ा घबराया हुआ था क्योंकि मैं पहली बार अपने घर से इतनी दूर आया था और किसी को भी पहचानता नहीं था सिवाय मेरे एक दोस्त के जिसका नाम मनोज उरॉव था वह भी पहली बार अपना घर छोड़कर श्रीनगर आया था हम दोनों थोड़े डरे सहमे हुए थे क्योंकि हम लोगों ने पहली बार ऐसी जगह पर कदम रखा था जहां सभी लोग अनजान थे। हम लोगों के बक्से बस के ऊपर ही रखे हुए थे और हमारे हाथ भी एकदम सुन्न हो चुके थे । हम लोगों को बक्से दे दिये गये थे जिसमें ट्रेनिंग से संबंधित सामान था और पूरी किट थी जो कि बहुत भारी थी एक लोग से उठाने लायक नहीं थी ।
CRPF HCM Real Story
हम दोनों लोगों ने कहा कि रहने दो बक्सा बस पर ही पड़ा रहने दो सुबह उठा लेंगे। सभी जवान बस से उतरकर एक कमरे की ओऱ जाने लगे फिर हम लोगों ने एक जवान से पूंछा कि यहां HC Ministerial लोग कहां रहते हैं तो एक ने कहा कि यहां तो तीन साल से कोई भी HCM पोस्टेड नहीं है फिर हमने कहा कि आप लोग कहां सोंयेंगे उसने कहा कि Recreation Room में, इतना कहकर वह वहां से चला गया फिर हम लोग अपना अपना बैग उठाकर चल ही रहे थे कि इतने में एक जवान हमारे पास आया जो कि पैट्रोलिंग की ड्यूटी कर रहा था उसने हम लोगों से पूंछा कि आप लोगों को यहां पहले कभी नहीं देखा कहां से आये हो।
मैंने कहा कि हम लोग HC (Ministerial) हैं नये भर्ती होकर आये हैं। उसने कहा कि बाकी ministerial staff तो SO’s Line में रहते हैं आप लोग कहां रहोगे मैंने कहा आप ही बताइये उसने कहा कि देखो अभी तो रात काफी हो चुकी है आप लोगों के लिये अलग व्यवस्था होती है लेकिन अभी रात में व्यवस्था कैसे करूं उसने कहा कि आप लोग एक काम कीजिये आज की रात इन्हीं जवानों के साथ बिता लीजिये सुबह आपको एक रूम दे दिया जायेगा।
हमने कहा कि ठीक है तो हम लोग भी वहीं Recreation Room में चले गये जहां पर सभी जवान ठहरे हुए थे, जो हमारे साथ ही बस में छुट्टी से वापस आये थे। उनमें से कुछ लोग तो हम लोगों को ऐसे देख रहे थे जैसे कि हम आतंकवादी हों, हम लोगों ने वहीं साइड से अपना साामान रखा और बिस्तर लगाकर लेट गये फिर कुछ देर बाद एक जवान हमारे पास आया और पूंछा कि आप लोग कौन हैं मैंने कहा HCM हूं वह बोले कि अच्छा अच्छा आराम से सोइये कोई दिक्कत हो तो बताना।

हम दोनों लोगों को वहां कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला। सुबह 7 बजे हमारी आंख खुली तो देखा वहां पर तो कोई भी जवान नहीं है सिर्फ हम दोनों लोग ही सो रहे थे क्योंकि सुबह सभी जवान मार्का में चले गये थे हम लोग सोकर उठे ही थे कि वहां पर एक ASI आया वह बोला कि आप लोग कौन हैं – हमने कहा कि HCM हैं कल रात में ही आये हैं उसने पूंछा कि वह बक्से भी आपके हैं क्या हमने कहां हां । उसने वह बक्से बस से उतरवा दिये थे लेकिन उसे पता नहीं था कि वह बक्से आखिर हैं किसके क्योंकि दोनो बक्से भरे हुए थे और उन पर फोर्स नम्बर भी नहीं पड़ा था और नाम भी नहीं लिखा था।
फिर उसने कहा कि आपका सामान कहां है मैंने कहा कि ये है उसने कहा कि आप लोग अपना सामान उठाइये इतना कहकर वह उस कमरे के बाहर चला गया । हम लोगों ने अपना सामान उठाया और बाहर निकले उसने कहा कि मेरे पीछे पीछे आइये आपको रूम बताता हूं कि आपको कहां रहना है । उसने हम लोगों को एक रूम दे दिया और बोला कि आप लोग यहीं रहेंगे वहां पर 4-5 जवान पहले से ही रह रहे थे और उस कमरे में बुखारी जल रही थी जो कि बहुत गर्मी पैदा कर रही थी कमरे में, क्योंकि बाहर बहुत ही सर्दी थी जनवरी का मौसम था।
वहां पर एक मेजर रहते थे जिनका नाम था केशव नारायण सिंह, उस लाइन में वही सबसे सीनियर थे वह वर्ष 1993 के भर्ती थे। सभी लोग उनसे के.एन. मेजर कह कर बात कर रहे थे । उन मेजर ने हमें अपने कमरे में बुलाया और कहा कि यहां बैठो हाथ सेक लो फिर उन्होंने हमें नाश्ता बगैरह कराया । फिर वह भी हम लोगों के बारे में पूंछते रहे।हम लोग बताते रहे। उनमें से एक जवान ने हमें बताया कि हमारा कमाण्डेंट साहब के सामने इंटरव्यू होगा क्योंकि हम पहली बार कमाण्डेंट से मिलने वाले थे इसलिये। उसने बतााया कि हमें वर्दी में ऑफिस जाना होगा। हमारी ट्रेनिंग नहीं हुई थी और ट्रेनिंग से पहले वर्दी पहनना एलाऊ नहीं था।
जब हम मैन ऑफिस पहुंचे।
हम दोनों लोगों ने वर्दी पहनी और साढ़े नौ बजे मैन ऑफिस के लिये चल दिये। उस जवान ने हमें पहले ही बता दिया था कि अन्दर जाते ही सैल्यूट कर देना। हम लोग मैन ऑफिस में पहुंचे हमने जय हिंद बोल दिया लेकिन सैल्यूट नहीं किया क्योंकि हमें पता ही नहीं था कि कैसे सैल्यूट करते हैं। वहां पर हमारे हैड साहब बैठे हुए थे उन्होंने पहले तो ऊपर से नीचे देखा फिर पूंछा कौन हो हमने बताया कि HCM हैं , उन्होंने पूंछा कि ट्रेनिंग हो गयी हमने कहा नहीं, । वह चिल्ला कर बोले कि फिर वर्दी कैसे पहन ली। जाइये बदल कर आइये अभी आपकी ट्रेनिंग हुई नहीं और वर्दी पहन ली।

हम लोग वहां से वापस भागकर सिविल कपड़ो में आ गये। उस जवान ने हमें बताया कि आपने उसे सैल्यूट नहीं मारा इसलिये वह चिड़ गया । हमें क्या पता था कि ये लोग सैल्यूट के भूखे हैं। खैर हम लोग सिविल कपड़े पहन कर वापस ऑफिस में आये वहां आकर फिर उसने हम लोगों को डिटेल में पूंछा और ऑफिस के बाकी सभी लोगों से मिलवाया। फिर वहां पर हमें एक ASI के साथ लगा दिया गया । हैड साहब ने कहा कि आप लोग काम सीखिये और इन लोगों की मदद कीजिये।
हम लोगों को कुछ नहीं आता था सिवाय टाइपिंग के। हम दोनों लोग बैठे टाइमपास कर रहे थे। फिर कुछ देर बाद हमारे हैड साहब ने कहा कि चलो आपको कमाण्डेंट साहब से मिला देता हूं। हम लोगों को वहां के अधिकारियों से मिलवाया गया और फिर बाद में कमाण्डेंट साहब से मिलवाया गया । कमाण्डेंट साहब ने हम लोगों से हमारी पढ़ाई के बारे में पूंछा और बताया कि आप लोग और तैयारी कीजिए और किसी अच्छे डिपार्टमेंट में जाने की कोशिश करें क्योंकि यहां तो बर्फ और आतंकवादियों के अलावा और कुछ भी नहीं है।
CRPF Real Story
हम लोगों को काफी समझाने के बाद कमाण्डेंट साहब ने कहा कि आप लोग अच्छा खाइये, सेहतमंद रहिये , उन्होंने कहा कि यहां पर आप जितना खुश होकर रहेंगे उतना ही आपका यहां मन लगेगा नहीं तो आप यहां नहीं रह पायेंगे। हम लोगों को काफी समझाने के बाद हम लगो वहां से चले आये। लंच टाइम हो चुका था हमारे साथ कोई अन्य HCM नहीं था क्योंकि वहां पर पिछले तीन साल से कोई भी HCM पोस्ट नहीं किया गया था। हम दोनों लोग खाना खाने मैस में चले गये वहां पर जवानों के साथ हमने खाना खाया।
क्योंकि ASI/M होते हैं उनकी मैस अलग होती है वह लोग अधीनस्थ अधिकारी में आते हैं और हम लगो हवलदार थे हम लोगों की मैस अलग होती है। हम लोगों ने खाकर थोड़ी देर आराम करने के बाद वापस ऑफिस में निकल दिये फिर शाम तक ऐसे ही टाइम पास करते रहे। साढे़ पांच बजने वाले थे मैं तो पूरी तैयारी कर चुका था ऑफिस से निकलने की क्योंकि इससे पहले मैं ग्रुप सेंटर में था वहां पर सभी लोग करेक्ट साढ़े पांच पजे ऑफिस बंद करके चले जाते थे। देखते देखते 6 बजे गया लेकिन देखन में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि कोई ऑफिस बंद करके जाने वाला हो सभी लोग अपने अपने काम में बिजी थे घड़ी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था।
आठ बज गये लेकिन कोई अपनी टेबिल से नहीं उठ रहा था हम लोग सोच रहे थे यार कहां फंस गये ग्रुप सेंटर में तो ऑफिस साढे़ पांच बजे बंद हो जाता था यहां तो 8 बजे गये लेकिन ऑफिस अभी भी चल रहा है। फिर उनमें से एक Sub Inspector Ministerial बोला कि अरे आप लोगों ने खाना रख लिया । हमने कहा नहीं, तो बोले कि जाओ अपना खाना रख लो जाकर जाओ कल आना सुबह । जाइये खाना खाइये जाकर । हम लोग वहां से निकले और हमारे साथ ही दो जवान और निकले क्योकि उस सब इंस्पेक्टर ने बता दिया था कि चंदन जाओ इनको खाना खिलवाओ। चंदन उनका असिस्टेंट था ।
चंदन बहुत ही अच्छा लड़का था हमारी ही उम्र का था बहुत ही मजाकिया लड़का था। हम लोग वहां से निकलकर मैस में निकले । हमने एक टिफिन में खाना रखवा लिया था क्योंकि वहां रात का खाना मैस में नहीं खाते थे हम लोग अपने कमरे में आकर खाना को गर्म करके खाते थे। फिर हमने खाना खाकर पूरी बटालिन के रात में चक्कर लगाये। रात के करीब 10 बज चुके थे औऱ हम लोग उस ठंडी रात में जैकेट पहनकर टहलने के लिये निकले थे।
चंदन हमें उस बटालियन की सभी मुख्य जगहों के बारे में बताता गया और वहां के लोगों के बारे में भी बताता गया । उसने हमें कैंटीन भी दिखायी लेकिन रात काफी हो चुकी थी और कैंटीन रात में बंद थी। हम लोग काफी देर तक बटालियन कैम्पस में घूमते रहे, फिर आखिर अपने रुम पर आ गये। थोड़ी देर तक हम लोगों ने मोबाइल चलाया , मेजर लोगों से बातें की, वहां पर टीवी भी लगा था थोड़ी देर टीवी देखा फिर हम लोग सो गये। ऐसे ही दिन गुजरते गये और हम वहां के मौसम में ढ़लते गये।
अब आगे मैं अपने कार्य के बारे में अगली कहानी लिखूंगा। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो कृपया हमें कमेंट करके बताइये।
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जय हिंद
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