हाईटेंशन लाईन के तार में से आवाज क्यों आती है : नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में हम पढेंगे कि हाईटेंशन लाईन के तार में से आवाज क्यूं आती है। हाईटेंशन लाईन में से आवाज आने के कुल तीन कारण हैं। एक-एक करके हम सभी को पढेंगे और साथ ही देखेंगे कि कितने वोल्ट की हाईटेंशन लाईन पर हमें यह आवाज सुनने को मिलती है। पूरी जानकारी के लिये पोस्ट को लास्ट तक पढ़ें।

दोस्तों ट्रांसमीशन लाईन में से जो आवाज आती है उसको हम लोग Humming Sound या Hissing Sound भी बोलते हैं। पहले हम लोग यह जान लेते हैं कि कितने वोल्टेज की ट्रांसमीशन लाईन पर हमें यह आवाज सुनने को मिलती है।
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दोस्तों जो 220 के.वी. की ट्रांसमीशन लाईन होती है उस लाईन में हमें यह आवाज कभी कभी सुनने को मिलती है। जैसे कि बारिश के मौसन में हो सकता है कि हमें यह आवाज सुनने को मिले लेकिन बिना बारिश के मौसम में बहुत ही कम चांस होते हैं कि हमें यह आवाज सुनने को मिले।
जो 400 के.वी की हाईटेंशन लाईन होती है उसमें हमें यह आवाज हमेशा सुनने को मिलती है लेकिन धीरे धीरे । मतलब जो 400 के.वी. की हाईटेंशन होती है उसमें यह आवाज बहुत ही कम वॉल्यूम में बहुत धीरे सुनायी देती है।
वहीं पर दोस्तों अगर 765 के.वी. की ट्रांसमीशन लाईन है तो उसमें यह आवाज हमेशा सुनने को मिलती है और Strong Volume में सुनने को मिलती है। अगर आप हाईटेंशन लाईन के पास से जाओगे तो आपको यह आवाज जरूर सुनाई देगी।
हाईटेंशन लाईन के तार में से आवाज आने के कारण
हाईटेंशन लाईन में से आवाज आने के मुख्यतः तीन कारण हैं पहला कारण है-
- इलैक्ट्रिक कोरोना की वजह से।
- लाईन में अधिक मात्रा में पावर फ्लो होने के कारण
- हवा की वजह से ।
1. इलैक्ट्रिक कोरोना
ट्रांसमीशन लाईन में से आवाज क्यों आती है? यह चाईना वाला कोरोना नहीं है यह इलैक्ट्रिकल कोरोना है। हमारी जो ट्रांसमीशन लाईन होती है वह बहुत हाई वोल्टेज से पावर का ट्रांसमीशन करती है। ट्रांसमीशन लाईन में जो कंडक्टर है वह हवा में होता है मतलब कि एयर मे होता है। जैसे कि हमारे जो कंडक्टर है वह हवा में लटका हुआ है उसके आस पास में एयर है।
यह जो एयर है, क्या यह इंसुलेटर होती है या कंडेक्टर होती है। कंडक्टर मतलब जिसके अन्दर से करन्ट आसानी से पास हो सके और इंसुलेटर मतलब जिसके अन्दर से करन्ट नहीं फ्लो हो पाता है। जो एयर है वह बेशक एक इंसुलेटर होती है जिसके अन्दर से हम करन्ट फ्लो नहीं करा सकते हैं, लेकिन जब तक कि एयर ब्रेकडाउन न हो जाये।
उदाहरण :
जैसे कि आप लोगों को उदाहरण के द्वारा समझाता हूं कि समझ लीजिये कि दोस्तों कि एक कंडक्टर है जिसके अन्दर 400 के.वी. की ट्रांसमीशन लाईन पास हो रही है। इस कंडक्टर के अन्दर 400 के.वी. वोल्टेज रिजर्व है। इस कंडक्टर के अन्दर इतना हाई वोल्टेज प्रेजेन्ट होने के कारण इसके आजू बाजू में भी कुछ वोल्टेज प्रेजेन्ट रहेगा जैसे कि कंडक्टर से 1 सेमी. छोड़कर 300 के.वी. वोल्ट प्रिजेन्ट होगा उसके बाद 1 सेमी औऱ छोड़ के 200 केवी वोल्टेज प्रिजेन्ट होगा उसके बाद 1 सेमी और छोड़कर 100 केवी वोल्टनेज प्रेजेन्ट होगा।
400 केवी की ट्रांसमीशन लाईन की उस कंडक्टर में से 400 केवी. वोल्टेज फ्लो हो रहा है तो कंडक्टर के आजू बाजू धीरे धीरे वोल्टेज कम होता जाता है। कंडक्टर से जैसे – जैसे हम दूर जाते रहेंगे वैसे वैसे वोल्टेज कम होता जायेगा। इसको ही हम लोग Potential Gradient बोलते हैं।
1 सेमी एयर में से अगर 30 केवी से ऊपर को वोल्टेज फ्लो होगा तो वह एयर कंडक्टर की तरह कार्य करने लगते हैं, वह हवा इंसुलेटर की तरह नहीं होती है उसमें करन्ट फ्लो होता है। एयर ब्रेकडाउन हो रही है उसकी वजह से ही आवाज क्रिएट होती है इसकी वजह से ही हम इसे कोरोना बोलते हैं। यह आवाज बारिश के मौसम में ज्यादा आती है। बारिश में एयर आसानी से ब्रेक डाउन हो जाती है इसिलये आवाज भी ज्यादा क्रिएट होती है।
2. लाईन में अधिक मात्रा में पावर फ्लो होने के कारण
जो ट्रांसमीशन लाईन होती है उसमें बहुत ही ज्यादा मात्रा में पावर फ्लो होता है। इतना ज्यादा पावर फ्लो होने की वजह से कंडक्टर के अन्दर बाईब्रेशन उत्पन्न होता है इसकी वजह से भी आवाज आती है। कंडक्टर के अन्दर बाइब्रेशन होने के कारण आवाज उत्पन्न होने लगती है जिस कारण हमें यह आवाज काफी आसानी से सुनाई देने लगती है।
3. हवा की वजह से
हवा की वजह से भी ट्रांसमीशन लाईन में से आवाज आती है। जो कोरोना इफेक्ट होता है उसकी वजह से 90 प्रतिशत आवाज आती है और जो पावर फ्लो होता है वह 9 प्रतिशत लेता है तथा 1 प्रतिशत आवाज हवा की वजह से आती है।
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हाईटेंशन लाईन के तार किसके बने होते हैं ?
हाईटेंशन लाईन के तार कॉपर एवं एल्युमीनियम से मिलकर बने होते हैं जिस कारण यह तार इतना हैवी करन्ट फ्लो कर पाते हैं। यदि कॉपर का इस्तेमाल तार बनाने में न किया जाये तो करेन्ट अच्छे से फ्लो नहीं हो पायेगा और हमें कम वोल्टेज की बिजली मिलेगी। इसीलिये हाईटेंशन लाईन के तारों को बनाने में कॉपर एवं एल्युमीनियम का प्रयोग किया जाता है।
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