IPL Business Model : अगर किसी के पास पैसे हों तो वह IPL की टीम खरीद सकता है या फिर कुछ विशेष लोग या कंपनी ही हीती हैं जो IPL की टीम खरीद सकती हैं। इसका Eligibility Criteria क्या है और टीमें खरीदी कैसे जाती हैं, Players कैसे सेलेक्ट होते हैं और इतना पैसा लगाने के बाद भी IPL की टीम पैसा कैसे कमाती है। इस ब्लॉग में आज हम यही पढेंगे।

IPL Business Model : IPL टीम कैसे खरीदी जाती है?
देखिये अगर किसी को भी IPL की टीम खरीदनी है तो दो ही तरीके हैं उसके पास। पहला तरीका है जो IPL की टीम पहले से है उनके Owner से जाकर बात करे उनके शेयर खरीद ले जैसा कि LIC ने किया है। LIC ने 6% शेयर खरीद लिये चेन्नई सुपर किंग के और दूसरा तरीका है इंतजार करे जब BCCI Announce करे नई टीम लांच करने का क्योंकि ऐसा नहीं होगा कि आप पैसे लेकर पहुंच गये तो आपके लिये टीम बना दी जायेगी।
BCCI को जब टीम Add करनी होती है तो वह Process follow करता है। जब BCCI लोगों को टीम खरीदने के लिये invite करता है तो वही टीम आवेदन कर सकती हैं जिनकी Valuation 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। Valuation को आप मोटा-मोटी ऐसा समझ लीजिए कि एक कंपनी की कमाने की क्षमता, अगर एक कंपनी को बेचा जाए तो कितने पैसे मिलेंगे। Revenue और Project के बेसिस पर यह decide होता है।
जब BCCI invite करती है तो eligible companies होती हैं, उनके ITT- Invitation to tender खरीदना होता है, जिनकी Cost 10 लाख + जी.एस.टी. होती है। यह non refundable फीस होती है। इसके सभी Terms & Conditions लिखे होते हैं। इसके बिना आप IPL की Bidding process में नहीं बैठ सकते। अभी ITT किसी दुकान पर तो मिलेगा नहीं इसके लिये आपको ई-मेल करना होता है। जैसा कि इस बार BCCI ने 2021 में कहा था कि जिसको भी ITT चाहिये वह 05/10/2021 से पहले itt-ipl-2021@bcci.tv पर ई-मेल कर दे। और यह जरूरी नहीं है कि आपने ITT खरीद ली है तो आप Bidding process में बैठ ही जायेंगे।
बिना किसी नोटिस, बिना किसी कारण के आपका ITT कभी भी निरस्त किया जा सकता है। जो लोग इसमें shortlist होते हैं सिर्फ उनको ही Bidding process में बैठने का मौका मिलता है। Bidding process में जो टीमें होती हैं उनका एक Base price होता है। यह बेस प्राईस Normally 1700 से 1900 करोड़ के बीच में होता है कि इससे कम में तो टीम नहीं बिकेगी। उसके बाद बोली लगती है जो ज्यादा पैसे देता है टीम उसकी हो जाती है। जैसा कि इस बार लखनऊ 7000 और अहमदाबाद 5000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में बिकी थी।
IPL के Players कैसे खरीदे जाते हैं?
IPL Business Model : टीम खऱीदने के बाद आपको प्लेयर्स खरीदने होते हैं। कौन से प्लेयर्स पर Bidding होगी इसके लिये प्लेयर्स को भी अपने आप को Registered करना होता है। अगर मैं क्रिकेट खेलता हूं तो क्या में अपने आप को रजिस्टर्ड कर सकता हूं, तो ऐसा नहीं है। प्लेयर्स को सिलेक्ट करने के तीन तरीके हैं । पहला तरीका है Capped players जिसने अपनी जिंदगी में एक भी मैच टीम इंडिया से खेला होता है उनको Capped players बोलते हैं। दूसरे होते हैं विदेशी टीम के प्लयेर और तीसरे होते हैं Uncapped players।
IPL Business Model : इन प्लेयर्स को State Association अपने स्टेट से सिलेक्ट करके भेजती है। ऐसे करके लगभग 1100 से 1500 प्लेयर्स का पूल बन जाता है जिसमें से 500 या 600 shortlist होते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हार्दिक पंडया। वह एक Uncapped Player थे जो कि स्टेट के recommendation पर आये थे।
IPL Business Model : जब एक किसान अनाज की बोली लगवाने APMC मंडी में जाता है तो बोली लगवाने वाले आपस में सांठ-गांठ कर लेते हैं जिससे किसानों को नुकसान होता है। इसलिये किसान MSP की डिमांड करते हैं। यही चीज IPL में न हो पता चले सभी लोग सांठ-गांठ कर लें और धोनी को 20 लाख में खरीद लें और Turn लगा-लगाकर खिलायें । इस चीज से बचने के लिये प्लेयर्स अपने आपको रजिस्टर्ड करते हैं तब वह अपना Base price set करते हैं। यह बेस प्राईस 20 लाख से 20 करोड़ के बीच में होता है । इसके बाद पूरे प्रोसेस में प्लेयर्स का कोई कंट्रोल नहीं होता है।
IPL Business Model
IPL Business Model : एक ही टीम पैसे का जोर दिखाकर सारे अच्छे खिलाड़ी अपनी टीम में रखकर World-11 न बना दें और IPL का सारा मजा खराब न हो जाये इसलिये Bidding process के कुछ नियम बनाये गये हैं। एक टीम में 18 से कम और 25 से ज्यादा प्लेयर्स नहीं हों और 8 से ज्यादा विदेशी प्लेयर्स नहीं हो सकते। प्रत्येक टीम को एक limited amount दिया जाता है जिसे purse कहते हैं और Purse की लिमिट होती है। पहले यह लिमिट 85 करोड़ की थी और अब इसे 90 करोड़ कर दिया गया है। इस 90 करोड़ में से 18 से 25 प्लेयर्स की टीम बनानी होती है।
IPL Business Model : पहले Marky players की bidding होती है। Marky players यानिकि जो बड़े प्लेयर्स होते हैं जिनका बेस प्राईस 2 करोड़ होता है और फिर Groups में bidding होती है। जैसे- batsman के Group आयेंगे फिर Bowlers के Group आयेंगे और उन ग्रुप में Bidding होगी। सही प्लेयर सिलेक्ट करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिये टीमें डाटा साइंस का प्रयोग करती हैं। किसी प्लेयर की Hard-hitting ability ज्यादा है, कौन सा Player match winner है या दो same stat player में से किस पर ज्यादा पैसा देना चाहिए। इन सब चीजों में डाटा साईंस एंड एनालिटिक्स के प्रोफेशनल को हायर करती हैं और फिर IPL ही नहीं बल्कि बाकी फील्ड में भी डाटा साईंस का यूज करना कंपनियों के लिये ऑप्शन नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन गया है Market में सस्टेन करने के लिये और यही कारण है कि इतनी पॉपुलर स्टेट बनती जा रही है। इसका यूज करकेलोग अपने कैरियर को तेजी से आगे बड़ रहे हैं।
IPL Players की बोली कैसे लगती है?
IPL Business Model : प्लेयर्स के ऊपर बोली लगती है। यह भी बहुत कंट्रोल्ड वे में लगती है। 20 लाख से 1 करोड़ का जिन प्लेयर्स का Base price होता है उनकी Bidding 5 लाख से आप बड़ा सकते हो। एक से दो करोड़ की बिडिंग में आप 10 लाख से प्राईस बड़ा सकते हो। ऐसे करके सारी टीम कंपलीट होती हैं और हर साल मिनी बिडिंग होती है। मिनी बिडिंग में जो टीम के प्लेयर होते हैं जो यूजफुल नहीं लगते उनको वह रिलीज कर देते हैं। सभी रिलीज प्लेयर और New Added players में बिडिंग होती है। हर 3 साल में एक मेगा ऑक्सन होता है जो कभी –कभी आगे पीछे हो जाता है। इसमें टीम को चार प्लेयर छोड़कर बाकी सारी टीम को रिलीज करना होता है।
IIPL Business Model : IPL टीम खरीदने में बहुत ज्यादा पैसा लगता है। टीम खरीदना है, Support staff और प्लेयर्स की फीस होती है, एडमिन और ऑपरेशन कॉस्ट होती है इसके बाद आई.पी.एल. के जो मैंच अलग-अलग जगह पर होते हैं तो होटल और फ्लाईट्स की टिकट, बहुत सारा पैसा लगता है। उसके बाद भी सिर्फ 20 करोड़ रुपये जीतने वाली टीम को मिलता है, तो आई.पी.एल. का जो बिजनेस मॉडल है, वह काफी अलग है। कोई भी टीम इस 20 करोड़ की प्राईज मनी के भरोसे नहीं रहती ।
आई.पी.एल. की टीम पैसे कैसे कमाती है-
IPL Business Model : आई.पी.एल. की टीम की सबसे पहले और मेजर इनकम होती है Broadcasting Right जिस चैनल के पास आई.पी.एल. के ब्रॉडकास्टिंग राईट होते हैं सिर्फ वही चैनल आई.पी.एल. को दिखा सकता है। जैसे कि साल 2008 से 2017 तक ब्रॉडकास्टिंग राईट Sony चैनल के पास थे तो उस समय आपको यदि आ.पी.एल. देखना है तो सोनी चैनल पर ही देख सकते हैं। इस चीज के लिये सोनी ने 10 साल के लिये 8200 करोड़ रुपये दिये थे।
उसके बाद बिडिंग हुई और 2018 से 2022 तक के लिये Star India ने 16347 करोड़ में ब्रॉडकास्टिंग राईट खरीदे। ये जो पैसा आता है यह 15% BCCI को जाता है और बाकी 15% IPL टीम में डिवाइड होता है। पहले इस पैसे में से 20% BCCI रखती थी और 80% टीम को जाता था। धीरे धीर शेयर बढ़ा-बढा कर अभी यह 50% हो गया है।
चैनल इतना ज्यादा पैसा ब्रॉडकास्टिंग राईट के लिये देते क्यों हैं।
IPL Business Model : पूरी दुनिया में आई.पी.एल. बहुत ज्यादा देखा जाता है। अगर मैं 2019 के आई.पी.एल. की बात करूं तो 462 मिलियन लोगों ने आई.पी.एल. देखा था और जब इतने सारे लोग एक साथ कोई चीज देखते हैं तो वहां पर Brands involve हो जाते हैं। मैच के बीच में जो आप 10 सेकेंड का एड देखते हैं उसमें 12 से 13 लाख रुपये जाते हैं। ऐसे यह राशि बहुत कम लग रही है लेकिन 45 दिन के पूरे एमाउंट का जब आप टोटल करेंगे तो यह एक बहुत बड़ा मुनाफा होता है। इसिलये सारे चैनल बोली लगाने के लिये तैयार रहते हैं।
IPL Business Model : दूसरा source of income होता है- Tile sponsorship, आपने देखा होगा आई.पी.एल को खाली आई.पी.एल नहीं बोला जाता है। कभी आपको DLF IPL , कभी VIVO IPL, Pepsi IPL और आजकल Tata IPL बोला जा रहा है। IPL को सिर्फ IPL को बजाए किसी कंपनी के साथ बुलवाने के लिये कंपनियां काफी पैसा देती हैं और प्रत्येक कंपनी अपना नाम जोड़ना चाहती है। इसलये इनकी बोली लगती है जिसे टाईटल स्पोन्सरशिप कहते हैं।
IPL Business Model : 2008 से 2012 तक DLF ने IPL की बजाए DLF IPL बुलवाने के लिये 200 करोड़ दिये। अगले 3 साल के लिये पेप्सी ने 396 करोड़ दिये उसके बाद Vivo ने 2018 से 2022 तक के लिये 2199 करोड़ दिये। चीन और भारत के विवाद के चलते यह चीज टाटा को 300 करोड़ प्रतिवर्ष के हिसाब से दी गई है। इसका जो भी पैसा आता है उसका 60 प्रतिशत BCCI रखती है और 40 प्रतिशत टीम में डिवाइड हो जाता है।
IPL टिकट का रेट कौन तय करता है ?
IPL Business Model : जिस ग्रुप में मैच होता है उस ग्रुप में टिकट प्राईस क्या रहेगा, यह होम टीम डिसाइड करती है। औसतन 5 करोड़ की टिकट की बिक्री होती है जिसमे से 80 प्रतिशत होम टीम रखती है और बाकी का जो ग्राउण्ड का एसोसियेशन होता है उसको जाता है। टीम के प्लेयर्स जो टी-शर्ट पहनते हैं उसमें आप अगर कोई भी लोगो या नाम देखेंगे तो उसके लिये ब्रांड्स पैसे देते हैं। पूरे मैच के दौरान उस ग्राउण्ड की बाउन्ड्री के अन्दर कोई भी कंपनी का नाम आप देखोगे जैसे कि Boundary Rope पर, Wickets, Helmet, Bat, Empire की टी-शर्ट पर जहां-जहां पर भी आप कंपनी का नाम लिखा हुआ देखोगे उन सब के लिये टीम को पैसे मिलते हैं।
IPL Business Model : उसके बाद टीम के ऑनर अपनी टीम के प्लेयर से दूसरे कंपनियों के एड भी करवाते हैं जो भी एड टीम के जर्सी पर करते हैं वह टीम के ऑनर के पास जाता है। इसके साथ-साथ हर टीम के ऑनर के खुद के ब्रांड्स और प्रमोशन भी होते हैं जिसे वह अपनी टीम के प्लेयर से ही करवा लेते हैं । जैसे कि आपने एक एड देखा होगा जियो दे देना दन। इसके बाद हर टीम की अपनी मर्चेन्टाईज होती है। टीम के नाम की टी-शर्ट, बल्ला, किट, कप्स अलग-अलग पूरे भारत में बिकते हैं। इसका सारा पैसा डायरेक्ट टीम के ऑनर के पास जाता है।
Winning Amount कितना मिलता है?
IPL Business Model : इसके बाद सबसे लास्ट में ध्यान जाता है wining amount पर। जीतने वाली टीम को 20 करोड़ मिलते हैं और दूसरी विजेता टीम को 12.5 करोड़ मिलते हैं जिसमें से 50 प्रतिशत टीम का ऑनर रखता है और बाकी का 50 प्रतिशत प्लेयर्स में बांट दिया जाता है। भले ही कई अरेंजमेंट में BCCI Revenue में हिस्सेदारी रखता है लेकिन उसके बाद भी फाईनल जो टीम कमाती है उसका 20 प्रतिशत BCCI को देना होता है लेकिन फिर भी आपने देखा होगा कि टीम के ऑनर बहुत दिल से चाहते हैं कि उनकी टीम जीत जाये या कम से कम टॉप चार में तो पहुंच ही जाये। वह इसलिये कि 4 टीम जब क्वालीफाई करती हैं तो बाकी टीम के मैच तो बंद हो जाते हैं लेकिन इन 4 टीम को एक्टरा मैच खेलने को मिलते हैं। अतिरिक्त मैच मतलब एक्सटरा टिकट, एक्सटरा स्पोन्सरशिप और एक्सटरा पैसे।
IPL Business Model : दूसरा फायदा यह होता है कि जब टीम टॉप में पहुंचती है तो उसकी ब्रांड वैल्यू बढ़ जाती है उसको बाकी टीम के तुलना में ब्रांड और स्पोन्सरशिप के ज्यादा पैसे मिलते हैं। अब जो पैसा चेन्नई सुपर किंग एड के लेती है और जो पैसा पंजाब एड के लेती है उसमें बहुत ज्यादा अंतर होता है। जीतने वाली टीम को फायदा रहता है दूसरी चीज होती है कि टॉप चार टीम को चैंपियन ट्रॉफी में जाने का मौका मिलता है।
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जैसा कि मैंने बताया कि वहां जाने पर उनको एक्सटरा मैच खेलने को मिलते हैं तो जो प्रोफिट सिर्फ आई.पी.एल तक रहता है वह वहां पर मैच खेलने से और बढ़ जाता है। शुरू के 10 साल आई.पी.एल टीम घाटे में रही। यह वही समय था जब डेक्कन चार्जर्स अपनी टीम के खिलाडियों को सैलरी तक नहीं दे पा रही थी। इसलिये BCCI ने Deccan Chargers को टर्मिनेट करके सनराईजर्स हैदराबाद बना दी थी। डेक्कन चार्जर्स तो उस समय पर सस्टेन नहीं कर पायी लेकिन बाकी टीम टिकी रहीं क्योंकि ये सारी टीम के खुद के ब्रांड्स और प्रोडक्टस थे जिनको उन्होंने आई.पी.एल. का यूज करके Next level पर पहुंचाया।
IPL Business Model : लेकिन जैसे ही Star India ने मीडिया राईट दुगने और तिगुने दामों में लिये सारी टीम को प्रोफिट आना शुरू हो गया और फिर टाईटल स्पोन्सरशिप और बाकी एड के दाम एकदम से बढ़े। अब जो लोग आई.पी.एल. की इस अरेंजमेंटट के खिलाफ हैं उनका कहना कि मैन इनकम इनकी spot fixing से होती है। एक दो केस जब राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग दो साल के लिये बैन हुए तो उसके अलावा मुझे कोई भी प्रूफ नहीं मिला जहां पर स्पॉट फिक्सिंग पकड़ी गयी हो, तो अब ये स्पॉट फिक्सिंग होती है या नहीं यह बहस का मुद्दा है।
-अनुज कुमार
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